प्रिय अभिभावकों,
हर माता पिता की यह हार्दिक इच्छा होती है कि उनका लाडला जल्दी से जल्दी अपने पैरों पर खड़ा हो जाएं। आपकी इसी इच्छापूर्ति के लिए सेना ही सबसे सुनहरा विकल्प हैं। मेरा मानना है कि सेना केवल नौकरी नहीं अपितु एक सौभाग्य हैं। देश सेवा और वतन की रखवाली का यह सौभाग्य उन्ही को नसीब होता है जिनके माता पीता ने कोई पुण्य कार्य किया हो। मैं तो स्वयं एक साधारण किसान परिवार से हूँ और मैट्रिक पास करते ही सेना मे सिपाही भर्ती हुआ तो उसको ही बड़ी उपलब्धि मानता था। परन्तु सेना मे जाने के बाद मैंने वहाँ सैन्य अधिकारियों को देखो। उनकी जीवनशैली, उनका रूतबा, उनका नॉलेज और बात करने के ढंग से मैं इतना प्रभावित हुआ कि मन ही मन सैन्य अधिकारी बनने की ठान ली। स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप मे 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की तथा चार वर्ष तक पूरी निष्ठा और दृढ़-संकल्प के साथ कठिन परिश्रम किया एवं अंततः सैन्य अधिकारी के लिए चयन हो गया। प्रशिक्षण के बाद अच्छी सेवाएं देते हुए कर्नल रैंक तक प्रमोशन हुआ लेकिन मेरे मन मे पीड़ा थी कि मैं तो अफसर बन गया और शानदार जिंदगी का आनंद ले रहा हूँ लेकिन मेरे क्षेत्र मे तो अभी भी शिक्षा और रोजग़ार की हालत वैसी ही है जैसी मेरे समय में थी। ग्रामीण युवाओं की इसी पीड़ा की खातिर मैंने यह बीड़ा उठाया और 15 वर्ष पूर्व ही सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और जुलाई 2014 में कुचामन सिटी में कर्नल डिफेन्स एकडेमी की स्थापना की। आज सैकड़ो ग्रामीण युवाओं को हर वर्ष भारतीय सेना में चयन करवाकर जो आत्म सन्तुष्टि का अनुभव होता है उसे शब्दों में बयान करना हमारे लिए संभव नहीं हैं।
सफलता की गारन्टी का आधार –
सेना (एयरफोर्स, नेवी, आर्मी) में भर्ती होने के विभिन्न मापदंडो को मध्य नज़र रखते हुये ही अभ्यर्थी को एकडेमी में प्रवेश दिया जाता हैं। आवश्यक मापदंडो के अनुरुप ही तैयारी करवाई जाती हैं। उद्धारण के लिए शारीरिक नापतोल में अभ्यर्थी की हाइट के मामले में किसी भी प्रकार का कोम्प्रोमाईज़ नहीं किया जा सकता लेकिन सीना और वजन व्यायाम एवं खान-पान द्वारा जरुरी मापदंडो के अनुसार पूरा किया जा सकता हैं। इसी प्रकार 95 फ़ीसदी चिकित्सा संबंधी पहलुओं को फिजिकल एक्सरसाइज़, योगासन, ऑपरेशन, मेडिसिन एवं अन्य तरीकों से ठीक किया जा सकता हैं। ऐसे ही लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन, इंटरव्यू एवं अन्य टेस्टो की तैयारी भी प्रोफ़ेशनल तरीक़े से कराई जाती हैं ताकि हर प्रशिक्षु कम से कम समय में अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें।
कर्नल डिफेन्स एकडेमी ही क्यों? –
कर्नल डिफेन्स एकडेमी ही संपूर्ण भारतवर्ष की एक मात्र ऎसी एकडेमी हैं जो भारतीय सेना के एक पूर्व भर्ती अधिकारी द्वारा संचालित है और ग्रामीण युवाओं को भारतीय सेना में अधिकारी बनाने के लिये प्रयासरत्त है। मेरा मानना हैं की अगर मेरे जैसा सरकारी स्कूल में पढ़कर 12वीं में महज़ 40 प्रतिशत अंक हासिल करने वाला साधारण सा युवक भारतीय सेना में कमीशंड अफ़सर बन सकता हैं तो फिर सही मार्ग दर्शन, मोटिवेशन और इंस्पिरेशन के द्वारा हर ग्रामीण युवा सेना में अधिकारी बनने की काबिलियत रखता है बशर्ते वह पुरे आत्मविश्वास, निष्ठा, समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिये दिन–रात एक कर दें।
हमारा एक ही सपना हर गांव ढाणी में अफसर हो अपना…
इस मिशन स्टेटमेंट को हक़ीक़त में बदलने के लिए अच्छी तरह से सोची समझी रणनीति के तहत योजनाबद्व तरीके से ग्रामीण युवाओं को कम्युनिकेशन स्किल, जनरल अवेयरनेस और पर्सनॅलिटी डेवलपमेंट की विशेषज्ञों द्वारा विशेष तैयारी करवाई जाती हैं ताकि ग्रामीण युवा SSB Interview में सफ़लता हासिल कर सके। सैन्य अधिकारी बनने के लिए अभ्यार्थी के व्यक्तित्व में निखार लाना अत्यंत आवश्यक हैं और इसके लिए सबसे पहले व्यक्ति की सोच विकशित की जाती हैं। इसके लिए दुनिया की महान विभूतियों की जीवनी के बारे में जानकारी देते हुये उनसे जुड़े व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया जाता हैं। इसके अलावा अभ्यार्थियों के उठने–बैठने, बात करने के तरीक़े, डाइनिंग मैनर्स, एटिकेट और लीडरशिप क्वालिटीज़ पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं।
कर्नल नंदकिशोर ढ़ाका
चेयरमैन, कर्नल डिफेन्स एकडेमी
Inspirational Story of Colonel Dhaka